अद्भुत है संगम
चूड़ियों की खनक
औजार की गमक
मेहदी सने हाथ
रक्त रंजित पाँव
त्योहार का कोलाहल
अन्दर रिसे हलाहल
आँखों की चमक
हई आज धूमिल
आशंकाओं का गहरा
फैला भ्रमजाल
अद्भुत है संगम
व्याकुल है जीवन
जीने को फिर से
उतिष्ठ हुयी वेदना
मरने को फिर से
रजनी के तम को
हर रहा दीपक
अद्भुत है संगम
चूड़ियों की खनक
औजार की गमक
मेहदी सने हाथ
रक्त रंजित पाँव
त्योहार का कोलाहल
अन्दर रिसे हलाहल
आँखों की चमक
हई आज धूमिल
आशंकाओं का गहरा
फैला भ्रमजाल
अद्भुत है संगम
व्याकुल है जीवन
जीने को फिर से
उतिष्ठ हुयी वेदना
मरने को फिर से
रजनी के तम को
हर रहा दीपक
अद्भुत है संगम