गुरुवार, 1 नवंबर 2012

अद्भुत है संगम

अद्भुत है संगम 

चूड़ियों की खनक
औजार की  गमक
मेहदी सने हाथ
रक्त रंजित  पाँव
त्योहार का कोलाहल
अन्दर रिसे  हलाहल
आँखों की चमक
हई आज धूमिल  
आशंकाओं का गहरा
 फैला भ्रमजाल
अद्भुत  है संगम 
व्याकुल है जीवन
जीने  को फिर से
उतिष्ठ हुयी वेदना
मरने को फिर से
रजनी के तम को
हर रहा दीपक
अद्भुत है संगम 



अजीब इत्तफाक है !!!

अजीब इत्तफाक है !!!

अजीब इतेफाक है
जिंदगी दर पर खड़ी है
और मैं  पनाह की
भीख  मांग रहा हूँ
सब कुछ अपना है
फिर भी कुछ खोता है
पा कर सब कुछ  भी
क्यों यह मन रोता है
बंद हुआ द्वार एक
खुल गये कपाट कई
फिर क्यों पीड़ा के
तन्तु यह बुनता है
शंका के झूले की
हिल्लोर एक माया है
सुख दुःख के उलझन
जीवन की छाया है
अजीब इतेफाक है
दुःख की पुडिया
आँचल में बाँध रखी है
और मैं सुखों की
भीख मांग रहा हूँ