गुरुवार, 1 नवंबर 2012

अजीब इत्तफाक है !!!

अजीब इत्तफाक है !!!

अजीब इतेफाक है
जिंदगी दर पर खड़ी है
और मैं  पनाह की
भीख  मांग रहा हूँ
सब कुछ अपना है
फिर भी कुछ खोता है
पा कर सब कुछ  भी
क्यों यह मन रोता है
बंद हुआ द्वार एक
खुल गये कपाट कई
फिर क्यों पीड़ा के
तन्तु यह बुनता है
शंका के झूले की
हिल्लोर एक माया है
सुख दुःख के उलझन
जीवन की छाया है
अजीब इतेफाक है
दुःख की पुडिया
आँचल में बाँध रखी है
और मैं सुखों की
भीख मांग रहा हूँ