सोमवार, 24 अगस्त 2015

शुभकानायों के लिए.

शुभकानायों के लिए.

व्यस्त दिवस है वक्त कहाँ है मन के भाव पलटने को 
जनम दिवस ? बस दिवस यही है मन के भाव समझने को 
प्रेम सुधा की गागर  जो छलका दी  मन के कोने से 
 मस्तिष्क धरा में   अंकुर फूटे प्रेम बीज के बोने से 
दुआ एक मेरे अपनों ने फिर मेरे ऊपर  बरसा दी 
जीवन हो जीने को उद्द्यत ,ऐसी धारा सरसा दी 
शब्द नहीं अब मेरे कुछ धन्यवाद भी  कहने को 
दवा  नहीं यह एक दुआ  है जीवन  भर सहेजने को 



रविवार, 16 अगस्त 2015

जब रिश्तों का आंकलन कोई अपने  जीवन की सफलता /असफलता के मापदंड के साथ नापने लगता है तो  उसे यह समझ लेना चाहिए कि  वह  अब रिश्तों के परिभाषा से भ्रमित हो चुका है।

शनिवार, 15 अगस्त 2015

विजय गान


विजय गान 

कब जाना कल ढल जाएगा 
जीवन पल में छल  जाएगा 
व्यर्थ रहा गर यह पल प्रतिपल  
 समिधाओं में जल जाएगा 
आयों सम्बल और सजा दें 
दुविधाओं का मूल्य गिरा दे 
संशय सारे होंगे धूमिल 
श्रम से तप का दीप जला दें 
शूल फूल का रहे समंवय  
प्राचीरों से झरे पराजय 
उन्नत नभ की मीनारों से 
विजय गान उद्घोष सुना दे