बुधवार, 31 अगस्त 2016

किंजल


प्रबल धवल उज्जवल शीतल
स्निग्ध,सरस सरल  मन  निश्छल
झरते निर्झर के सुंदर कण जल
उच्श्रंखल तरणि सी चंचल 

बुधवार, 24 अगस्त 2016

अपनी प्यारी बेटी से

अपनी प्यारी बेटी से

तुम रहो कही भी इस जग में
लेकिन  हो हर पल मेरे पास
कैसे भी मौके आये जीवन में
साथ तुम्हारा रहा है साथ

हर पल संग बिताया हमने
हर पल जश्न मनाया हमने
सुख दुःख रस  संग पिया है हमने
हर पल क्षण  संग जिया है हमने

धन्यवाद करती हूँ प्रभु का
संग तुम्हारा मुझे  दिया है
स्वर्णिम पल है जीवन को वोह
साथ तुम्हारा प्राप्त हुआ है

तुम खूब बढ़ो तुम खूब पढ़ो
तुम अमर गान भी खूब कहो
तुम रुनझुन रुनझुन बजने वाले
किंजल के नाम को  ध्वनित  करो 

शनिवार, 13 अगस्त 2016

शुभ आशीष !!! जन्म दिवस पर विशेष

शुभ आशीष !!!

जन्म दिवस पर  विशेष 


 बढे कदम तो जग चले 
रुके कदम तो जहां रुके 
धरती थम कर नमन करे 
हो यश गान तो नभ झुके 

गुंजित दसों  दिशाएँ हो 
पाताल ,व्योम भी ज़िक्र करें 
नक्षत्र ,राशियां कर्क, तुला 
हर दम  तेरी फ़िक्र करे 

काल चक्र जो घूमे  पल पल 
कदम से तेरी चाल  चले 
जीवन मुक्त हो हर बाधा  से 
खुद केशव तेरी ढाल बने 

जन्मदिन की भेंट दे तुझ को 
प्रेरित वर्ष का हर क्षण करें 
करें मुबारिक  और  मुबारिक 
नूतन अर्पण भेँट करे 

शनिवार, 6 अगस्त 2016

मेरे अपने

मेरे अपने 

बस एक तुम थे 
अपने 
छोड़ आया था 
तुम को जिस मोड़ पर 
आज भी वही हो 
बिलकुल जैसे सपने  
न कोई रस्म 
न कोई रिवायत 
 जैसे  बस अपनों 
की एक इबादत 
भीड़ का सैलाब 
छोड़  गया साथ 
मिले कई नए 
खो  गए पुराने 
रहे तुम  तठस्थ 
मेरे सिरहाने !!!!!!!!!!!!

रच दिए गीत अनगिन 
ऋतु के मुहानो ने  
अविचल काल चक्र 
था घूमता जहानों में 
विकल मन भटकता था 
खोजता पाषाणों में 
 हीरे की चाहत 
ले गई कई खदानों में 

तुम ! केवल तुम थे 
 दिए जैसे तम  में  
टिमटिमाते ही रहे 
रहे तुम  तठस्थ
मेरे सिरहाने!!!!!!!!!!!!!!!!








बुधवार, 15 जून 2016

अन्तरात्मा



अन्तरात्मा 

अब यह प्रश्न 
नहीं पूछती 
 मैं कौन हूँ 

 बड़े शोख से 
कहती हैं 
 तुम कौन हो 

कोरे भ्रम ने सब 
कैसे छकाएं हैं 
अस्तित्व के चक्कर में 
सभी भरमाये हैं 

भूल गए भेद सब 
अपने पराये का 
पराये तो पराये रहे 
अब अपने भी 
पराए  हैं 

कैसा असमंजस है 
कैसा  छलावा है 
 प्रेम का ज्वालामुखी  
ठंडा हुआ   लावा है 

परिवर्तन

परिवर्तन


प्रकृति परिवर्तन शील है।  सब कुछ एक नियमित धारा प्रवाह के साथ साथ बदलता रहता है।  ऋतुएं ,वातावरण , भूगोल ,वायुमण्डल, । और तो और परिवर्तन तो सौर मंडल में भी होता रहता है।  आंतिरक एवं  बाहरी परिवर्तनों से घिरा प्राणी जगत भी इन परिवर्तान से अछूता  नहीं है।

प्राणियों  में होने वाले शारीरिक ,मानसिक,आत्मिक,आद्यत्मिक परिवर्तन भी काल चक्र के साथ गतिशील हैं

परिवर्तन एक सुनिश्तित ,अकाट्य तथ्य है।  जिसकी अवमानना ,अवज्ञा ,अवहेलना कोई भी नहीं करता।

इसे जितनी सहजता से स्वीकारा जाए , यह परिवर्तन निशित रूप से सकारात्मक ऊर्जा का स्त्रोत बन जाता है

और विपरीत हो तो यह नकारात्मक ऊर्जा का एक ऐसा प्रवाह बन जाता है जो विनाश की साक्षात् प्रतिमूर्ति बन जाता है

आइए ! इस होने वाले पल प्रतिपल के परिवर्तन को स्वीकार करे , उसका अंगीकार करे. अनुभव करें एवं अपने आप को तैयार करे..

परिवर्तन शील जीवन को  तथस्ट करने के लिए स्वयं को भी परिवर्तित करे


मंगलवार, 14 जून 2016

M .B डी के साथ एक सफर


M .B  डी  के साथ एक सफर

सफर ?
नहीं !!!!!
मात्र नहीं है यह सफर

यह है। ...

' मेरी बेमिसाल डगर '

एक ऐसा पथ
जो   जीवनभर 
 करता रहा आकर्षित
पा कर जिसे मन
 अब हो गया हर्षित

 दफ्तर के मुख्य द्वार पर
एक महान  व्यक्ति का चित्र
कितना जीवंत ! कितना प्रेरक!!
जीवन  से भरा यह चित्र
जिसने बनाया सब को अपना मित्र

साक्षात दर्शन है यह चित्र !!
जो !!!!
प्रेरणा देता है 
जीवन को पाने की
आकांक्षाए जन्माने की
सोये स्वपन जगाने की
कल्पनाएं ,यथार्थ बनने की

बढ़  उठे कदम मेरे
"मेरी बेमिसाल डगर' पर
झंकृत हुए साज सब
श्रम कुठार लिए  कर

मिल गई तूलिका
चित्रलेखा बनने को 
प्राची  से रंग ले
नव विहान रंगने को
पंख  मिल गए मुझे
ऊँची उड़ान भरने को 
मिल गया गगन एक
अनन्त  तक पहुँचने को
हुआ अग्र्सरित जीवन
पाने एक मुकाम को
तरनि की लहरों पर
जीतने जहान को

श्यामल -शस्य  रहे  डगर
सुजल सुफल  रहे असर
निष्कंटक जैसी अमर बेल
 रहे तेज   प्रबल ,प्रखर




रविवार, 22 मई 2016

बच्चों के प्रति

बच्चों के प्रति

हूँ गर्वित मैं आज जहां में 
अंक जो मैंने तुम को पाया 

इंगित  करते जिसको सारे 
उसको मैंने गोद  खिलाया 

तप  से ,श्रम से ,संक्लपों से 
आज जहां  तक तुम हो पहुंचे 

सच कहती हूँ मेरे प्यारे 
सारे जग का सुख कमाया   
  
 धन्यवाद है उस दाता का 
 नमन  उसे  है  बारंबार 
जिसने ऐसे कर्मवीर को 
मेरी झोली में समाया 

एक सन्देश !!!!!



एक सन्देश !!!!!

निरख पथ , पग बढ़ाना 
नासमझ मन ! समझाना 
बदगुमानियां बहुत है 
आईना सच का दिखाना

कठिन तप अभी शेष है 
सफर कुछ विशेष है 
आस्थांएं पर पुरानी 
सांस्कृत  अवशेष है 

शिखा दीप बन जलो 
पंक से ऊपर रहो 
सच करो निज नाम मंथन 
जाह्नवी सी बन रहो 

खो न जाना भीड़ में 
मिट न जाना नीड़ में 
तुम धरा के तेजपुंज 
बुझ न जाना दीप से 

एक तुम बस एक हो 
स्वच्छ ,धवल ,नेक हो 
कामना की कामना में 
सबल पग ,मंजिल बढ़ाना 

निरख पथ , पग बढ़ाना
नासमझ मन ! समझाना
बदगुमानियां बहुत है

आईना सच का दिखाना





सोमवार, 11 अप्रैल 2016


आज मेरे हर्ष एवं गर्व की कोई सीमा ही नहीं है एक मिश्रित अनुभूति हो रही है

एक ेमपलई होने के नाते--- फख़्र  होता है यह सोच कर की  इनकी लीडरशिप में काम करने का अवसर मिला

एक माँ होने के नाते गर्व महसूस करती हूँ और शाट शाट नमन करती हूँ उन म मत पिता को जिन्हो ने एैसी योग्य एम प्रतिभाशालिनी बच्चों को जन्म जिया एवं इतने गहरे संस्कार दिए

और सबसे बड़ी बात एक महिला होने के नाते गर्व महसूस करती हूँ की ऐसी महिला योगयताओं ने राष्ट्र निर्माण एवं उसकी अर्थव्यवष्टा  में बढ़ -चढ़ कर अपना योगदान दिया।  अपनी तथाकथित महिलाओं की सारी  सीमाओं  से बाहर निकल कर बिज़नेस जगत में  अपना अप्रतिमम स्थान बनाया  है।  श्री मरहोत्र जी स्वाप्पां को पूरा करने में भरसक , अथक प्रयत्नशील हैं


मेरा हार्दिक अभिनन्दन एवं शत शत  बधाई

आज उनको इस नए पद पर देख हम सब बहुत ही उत्साहित हैं एक सन्देश अपनी शुभ कामनाओं के साथ देना चाहूँ गी





बुधवार, 6 अप्रैल 2016


"जो नहीं पथ से  भटकता 
जो न उलझन में  अटकता 
पतझरों को चुभ रहा जो 
वह अनूठा शूल हूँ मैं "

इन पंक्तियों को  सार्थक करता उन   दो कर्मठ व्यक्तियों  ,माननीया मोनिका मल्होत्रा एवं सोनिका मल्होत्रा का सबल व्यक्तित्व जो अपने पथ प्रदर्शक युग पुरुष आदरणीय श्री अशोक कुमार मल्होत्रा जी एवं प्रेरणा स्त्रोत आदरणीया श्री मति सतीश बाला मल्होत्रा जी की प्रेरणा से प्रेरित हो अपने अथक श्रम से प्रगति पथ पर अग्रसरित हैं। 
आज सफलता पथ पर एक और सोपान चढ़ने की शत शत बधाई !

सोमवार, 14 मार्च 2016


जन्मदिवस की शुभ कामनाएं स्विष्टि ! तुम्हारे जमदिवस पर और तुम्हारे जीवन  के एक महत्वपूर्ण वर्ष के लिए विशेष सन्देश..... 

रविवार, 13 मार्च 2016

मिलन



मिलन 

मित्रों!  यह पंक्तियाँ मेरे  मित्रों के लिए जो इस जीवन  के प्रथम चरण  सफर में साथ चले  ,  परिस्थितियों  वश   अलग हुए और आज लगभग ३५  वर्षो के उपरान्त  पुनः मिल गये  अपनी अपनी मंजिल की ओर अग्रसर।  

कुछ मित्र मिले नए 
 कुछ मिल गए पुराने 
जीवन के पन्नो पर  
इतिहास को  दोहराने 

संघर्षो के साथी थे 
प्रमाण सफलता के 
पल पल बीते पल की 
स्मित को पहचाने 

कुछ वक्त गुज़ारा संग में 
कुछ ख्वाब  बुने थे मिलकर 
साकार किये वो सबने 
तंतु  से ताने -बाने 

वह आज भी जिन्दा है
हर भाव से मुखातिब
हर सांस में बसें वो
तकल्लुफ से अनजाने

बीत गया पल कितना 
जीवन बदला सारा 
हैं आज भी  हम बचपन में 
मित्र  बस तेरे बहाने 




शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

एक कदम



एक कदम 
इक कदम चला 

कदम कदम के साथ मिला
कदम कदम में कदम रचा
मंजिल दर मंजिल दर मंज़िल

कदम कदम कर  कदम चला
लो रचा फिर इतिहास नया
कदम कदम जब कदम बढ़ा

रविवार, 31 जनवरी 2016

एक नया युग सजाएं



कब जाना था यूं 
पीछे रह  जाएगी जिंदगी  
न आगे  देख पाएगी जिंदगी 
कब जाना था यूं 
इतना शोर होगा हादसों का 
कि  अपनी  भी आवाज़ 
न सुन पाएगी जिंदगी  

कब जाना था यूं 
हाथ छोड़ देगी जिंदगी 
मुहं मोड़ लेगी जिंदगी 
कब जाना था कि 
वक्त में  इतनी घुटन होगी 
कि अपनी ही सांस 
तोड़ देगी जिंदगी 

पिघलती दीवारें है 
दरकती मीनारे है 
ज्वाल के समुन्दर में 
बर्फ के किनारे है 

कौन जाने , क्या दिशा है
कौन जाने , क्या लिखा है
कौन जाने , क्या मंशा है
कौन जाने  , क्या  रचा  है

अचंभित हूँ फिर भी मैं 
धूप  के अंधेरों में 
नागमणि सी बाम्बियों में 
चमकती है जिंदगी  
एक सांस लेने  को 
तड़पती है जिंदगी 

चलो फिर मिल कर 
एक नया युग सजाएँ 
रह गया जो पीछे 
उसे वापिस बुलाये 
असमंजस के झरोखे से 
झांकती इस जिंदगी को 
आशा के झूले पर 
फिर से झूलायें 
एक नया युग सजाएं