मंगलवार, 14 जून 2016

M .B डी के साथ एक सफर


M .B  डी  के साथ एक सफर

सफर ?
नहीं !!!!!
मात्र नहीं है यह सफर

यह है। ...

' मेरी बेमिसाल डगर '

एक ऐसा पथ
जो   जीवनभर 
 करता रहा आकर्षित
पा कर जिसे मन
 अब हो गया हर्षित

 दफ्तर के मुख्य द्वार पर
एक महान  व्यक्ति का चित्र
कितना जीवंत ! कितना प्रेरक!!
जीवन  से भरा यह चित्र
जिसने बनाया सब को अपना मित्र

साक्षात दर्शन है यह चित्र !!
जो !!!!
प्रेरणा देता है 
जीवन को पाने की
आकांक्षाए जन्माने की
सोये स्वपन जगाने की
कल्पनाएं ,यथार्थ बनने की

बढ़  उठे कदम मेरे
"मेरी बेमिसाल डगर' पर
झंकृत हुए साज सब
श्रम कुठार लिए  कर

मिल गई तूलिका
चित्रलेखा बनने को 
प्राची  से रंग ले
नव विहान रंगने को
पंख  मिल गए मुझे
ऊँची उड़ान भरने को 
मिल गया गगन एक
अनन्त  तक पहुँचने को
हुआ अग्र्सरित जीवन
पाने एक मुकाम को
तरनि की लहरों पर
जीतने जहान को

श्यामल -शस्य  रहे  डगर
सुजल सुफल  रहे असर
निष्कंटक जैसी अमर बेल
 रहे तेज   प्रबल ,प्रखर