शनिवार, 2 नवंबर 2013

काला प्रकाश

काला  प्रकाश 

देखो सज्जित हुआ आकाश 
दीपावली के अद्भुत क्षण है 
पर धूमिल है उजला  प्रकाश 

आस एक जो टूटी बन कर 
प्यास एक जो तड़पी ठन कर 
क्षुधा बढ़ी और बिखरी मर कर 
सूखा एक पल्ल्वित पलाश

काल रात्रि डस  गयी खुशिया
निशीथ बन गया  काल का रक्षक
पाने को पल दो पल के अवसर 
रोंद गया मानव का मस्तक 

कुसुमित कर दे उजड़ी बगिया 
गुंजित कर दे वीराना 
रौशन कर दे जो जन मन को 
ऐसी लौ अब करो तलाश