काला प्रकाश
देखो सज्जित हुआ आकाश
दीपावली के अद्भुत क्षण है
पर धूमिल है उजला प्रकाश
आस एक जो टूटी बन कर
प्यास एक जो तड़पी ठन कर
क्षुधा बढ़ी और बिखरी मर कर
सूखा एक पल्ल्वित पलाश
काल रात्रि डस गयी खुशिया
निशीथ बन गया काल का रक्षक
पाने को पल दो पल के अवसर
रोंद गया मानव का मस्तक
कुसुमित कर दे उजड़ी बगिया
गुंजित कर दे वीराना
रौशन कर दे जो जन मन को
ऐसी लौ अब करो तलाश