रविवार, 22 मई 2016

एक सन्देश !!!!!



एक सन्देश !!!!!

निरख पथ , पग बढ़ाना 
नासमझ मन ! समझाना 
बदगुमानियां बहुत है 
आईना सच का दिखाना

कठिन तप अभी शेष है 
सफर कुछ विशेष है 
आस्थांएं पर पुरानी 
सांस्कृत  अवशेष है 

शिखा दीप बन जलो 
पंक से ऊपर रहो 
सच करो निज नाम मंथन 
जाह्नवी सी बन रहो 

खो न जाना भीड़ में 
मिट न जाना नीड़ में 
तुम धरा के तेजपुंज 
बुझ न जाना दीप से 

एक तुम बस एक हो 
स्वच्छ ,धवल ,नेक हो 
कामना की कामना में 
सबल पग ,मंजिल बढ़ाना 

निरख पथ , पग बढ़ाना
नासमझ मन ! समझाना
बदगुमानियां बहुत है

आईना सच का दिखाना