शनिवार, 15 अगस्त 2015

विजय गान


विजय गान 

कब जाना कल ढल जाएगा 
जीवन पल में छल  जाएगा 
व्यर्थ रहा गर यह पल प्रतिपल  
 समिधाओं में जल जाएगा 
आयों सम्बल और सजा दें 
दुविधाओं का मूल्य गिरा दे 
संशय सारे होंगे धूमिल 
श्रम से तप का दीप जला दें 
शूल फूल का रहे समंवय  
प्राचीरों से झरे पराजय 
उन्नत नभ की मीनारों से 
विजय गान उद्घोष सुना दे