शनिवार, 16 मई 2015

जीवन के कुछ पल


जीवन के कुछ पल 
खोये तो जाना 
यह जीवन है 
जीवन के कुछ पल 
पाये तो जाना 
यह जीवन है 

कब पंख लगा कर 
उड़ जाते हैं 
कब आस अधूरी 
बन जाते है 
कब सुबह सुहानी 
बन कर उभरे 
कब शाम रूहानी 
बन कर ढलते 
जीवन के कुछ पल 

कब विजय कदम 
मंजिल तक पहुंचे 
कब हार मान कर 
पथ से भटके 
कब मित्र बने और 
 साथ खड़े हो 
अनजान कभी 
बेगाने बनते 
जीवन के कुछ पल 

स्मृतियों के चल चित्रों पर 
धूमिल ,उज्जवल छाप  छोड़ते 
बनते ,मिटते आकारों की 
अदभुत एक फुहार छोड़ते 
कुछ खोने , कुछ पा जाने  का 
मिश्रित सा उपहार छोड़ते 
जीवन के कुछ पल