एक बूँद
उन्मुक्त गगन की सरल छाँव में
हुयी विरल भावों की वर्षा
मन मयुर करतल दे नाचा
बस एक बूँद को चातक तरसा
शुभ्र लाज से लाल हुआ
पीत हुआ मटमैला सा
हरा हुआ वासंती सा
नीला रंग श्यामल श्यामल सा
इन रंगों को समझें कितना
लाल हरे नीले और पीले
फीके पड़ते जितने भी यह
मन में गहराते हैं उतना
सपने बहला जाते हैं मन को
तृष्णा आ फिर ठग कर जाती
सच जब आ दर्पण दिखलाता
बस एक बूँद की चाह तब जगती
कोरे बंधन कोरी बातें
चोरी से जगती सब रातें
तब एक पल में धूल में मिलते
बस एक बूँद की चाह में जगते
बूँद जो जीवन दे जाती है
बूँद जो जीवन ले जाती है
बूँद जो बूँद बूँद से जुड़ कर
जन्म मरण सब हर लेती है