शनिवार, 30 मार्च 2013

एक बूँद


एक बूँद  

उन्मुक्त गगन की सरल छाँव में 
हुयी विरल  भावों की वर्षा 
मन मयुर करतल दे नाचा  
बस एक बूँद को चातक  तरसा 
शुभ्र लाज से लाल हुआ  
पीत हुआ मटमैला सा 
 हरा हुआ वासंती सा 
नीला रंग  श्यामल श्यामल सा  
इन रंगों को समझें कितना 
लाल हरे नीले और पीले 
फीके पड़ते जितने भी यह 
मन में गहराते हैं उतना 
सपने बहला जाते हैं मन को 
तृष्णा आ फिर ठग कर जाती 
सच जब आ दर्पण दिखलाता 
बस एक बूँद की चाह तब जगती 
कोरे बंधन कोरी बातें 
चोरी से जगती सब रातें 
तब  एक पल में धूल  में मिलते 
बस  एक बूँद की चाह में जगते 
बूँद जो जीवन दे जाती है 
बूँद जो जीवन ले जाती है 
बूँद जो बूँद बूँद से जुड़ कर 
जन्म मरण सब हर लेती है