शुभकानायों के लिए.
व्यस्त दिवस है वक्त कहाँ है मन के भाव पलटने को
जनम दिवस ? बस दिवस यही है मन के भाव समझने को
मस्तिष्क धरा में अंकुर फूटे प्रेम बीज के बोने से
दुआ एक मेरे अपनों ने फिर मेरे ऊपर बरसा दी
जीवन हो जीने को उद्द्यत ,ऐसी धारा सरसा दी
शब्द नहीं अब मेरे कुछ धन्यवाद भी कहने को
दवा नहीं यह एक दुआ है जीवन भर सहेजने को