मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023


माँ है एक, सुधा सी जो

आशीष रस पान कराती जो

कर दूर अंधेरा जीवन का

पग पग दीप जलाती जो

कोईं भेद नही अंतर्मन में

हर जन पर प्रेम लुटाती जो

सुधियों में छोडे छाप अमिट

मुक्त हास बिखराती जो

अब गोलोक को गमन किया

मुक्त हुयी हर बंधन से

युग युग तक अमर रहो माँ तुम

रहो प्रेम सुधा बरसाती तुम