Srijan
बुधवार, 13 फ़रवरी 2013
जिंदगी प्रत्यक्ष है ,ओझिल नहीं है
जिंदगी खुद सांस से बोझिल नहीं है
है छिपी अनगिनत इसमे जय पराजय
जिंदगी सब कुछ ,मगर मंजिल नहीं है
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