आचरण
अगर कोयल को कोई कौआ कह दे तो इसमें कोयल को कोई फर्क नहीं पड़ता ,वह कहने वाले की मूर्खता को भी कोई भाव नहीं देती न हंसती है न रोती है न गुस्सा करती है और न ही उसे कुछ समझाने की कोशिश करती है। ....अपना जीवन जीती है और अपना कार्य करती है अपनी मधुर आवाज़ से कूकती है। …कोई उसकी कूक से खुश होता है और कोई उस पर क्रोधित होता है कोई ईर्ष्या करता है और कोई गर्व। ....लेकिन कोयल इन सब बातों से अप्रभावित ही रहती है और अपने कार्य में लिप्त हो अपना जीवन जीती है। …आनन्द से,गर्व से
कोयल सा आचरण अपनाओ। ………