क्या जानू क्या है उनवान
भाव गीत और छंद बने जब
कठिन उच्चारक ब्यान
क्या जानू क्या है उनवान
मन में अगनित भाव है पलते
द्रवित हुये शब्दों में ढलते
सारे नियमों से अज्ञान
क्या जानू क्या है उनवान
मन में उमंग तरंगित होती
आशा की जिह्वा से बोती
शब्दों के अंकुर अनजान
क्या जानू क्या है उनवान
लेखन स्वत लेख लिख जाता
दीबाचा की रस्म ना होती
नव कल्पना भरे उड़ान
क्या जानू क्या है उनवान