लेखन
मंच मेरा और कविता भी मेरी
पर कलम कहाँ से लाऊँ वह
बोले मेरे अनबोले शब्दों को
वो स्याः कहाँ से पाऊँ मैं
गीत छंद मुक्तक और दोहे
वाणी का बंधन भूल चुके
भाव चुनिन्दा छुप छुप कर
नैनों के रस्ते फूट चुके
रीते वचन सुमंगल करदे
कैसे मन को समझाऊँ मैं
पीडित रोदन को सोखित कर ले
कोई हर्षित शंख बजाऊं मैं