शनिवार, 19 दिसंबर 2015

अंदाज़ निराला है


वाह रे दोस्त !,तेरा अंदाज़ निराला है
जाने कितने गमो को  सीने में पाला  है

मुस्कानी धागों के वस्त्र बनाता है
जगह जगह  दर्दो पे  पैबंद लगाता  है
दुखों के कैकटस उगा कर मन में
चेहरे पे जूही के फूल खिलाता है

वाह रे दोस्त !,तेरा अंदाज़ निराला है
जाने कितने गमो को  सीने में पाला  है

अस्मानी  रूहों के शख्स बनाता है
तरह तरह नामो के साथ बिठाता है
एक  नाम जो उसकी सांसो में बसा है
हर रूह को उसके साथ मिलाता है

वाह रे दोस्त !,तेरा अंदाज़ निराला है
जाने कितने गमो को  सीने में पाला  है