लहरे
तट से आ टकराती लहरे
मन में संबल बन कर बसती
शांत धरा उकसाती लहरे
ठहर ठहर कह जाती लहरे
जीवन पथ दर्शाती लहरे
संभल संभल उठ पुनह संभल
सहज भाव कह जाती लहरे
साहस की परिचायक लहरे
दुविधा की सहनायक लहरे
असमंजस को धूमिल करती
वसुधा की अधिनायक लहरे
रूक जायो तो छोर ना पकडे
संग बहो मझदार ना अटके
कठिन धरातल पर जो अटको
जीवन का अभिसार ना भटके