वापसी
वक्त की बुनियाद पर थी
चाहतों की वापसी
जलजले बढ़ते रहे
थी हादसों की वापसी
तुम ना चाहते तो भी
तूफ़ान यह आना ही था
बढ़ते दरिया के कदम और
लहरों की थी वापसी
बाँध कौन पाया है मन को
वक्त की बुनियाद पर थी
चाहतों की वापसी
जलजले बढ़ते रहे
थी हादसों की वापसी
तुम ना चाहते तो भी
तूफ़ान यह आना ही था
बढ़ते दरिया के कदम और
लहरों की थी वापसी
बाँध कौन पाया है मन को
बनते बिगड़ते भाव को
सत्य के आलोक में भी
कल्पना की वापसी
लम्हा लम्हा जी उठा था
याद के धुंधलकों में
चिर पुरातन मौन था
और नव ध्वनि की वापसी
सत्य के आलोक में भी
कल्पना की वापसी
लम्हा लम्हा जी उठा था
याद के धुंधलकों में
चिर पुरातन मौन था
और नव ध्वनि की वापसी