शनिवार, 29 दिसंबर 2012

सुरक्षित कौन है ?

सुरक्षित कौन है ?

क्या आप सुरक्षित हैं ? क्या सुबह सूरज  निकलने से पहले आप स्वच्छ एवं ताज़ी हवा लेने आप अकेले पार्क में जा सकते है  ? क्या आप अपने बच्चों  को अकेले स्कूल जाने के बस स्टॉप तक जाने देते है ? क्या आप अकेले एक शहर से दुसरे शहर में बेख़ौफ़ यात्रा कर सकते है ? क्या शाम को ऑफिस से घर देर से पहुँचने पर आप के घर वाले आपको घर  पर चिंता ग्रस्त नहीं मिलते ? क्या आप शाम को अपने बच्चों  को अकेले खेलने के लिए भेज सकते है . क्या आप देर रात अपने परिवार को कही बाहर घुमाने ले जासकते है ?

अगर नहीं ! तो आप सुरक्षित कैसे हैं ? कभी सोचा ही कि क्या असुरक्षित केवल नारी ही है .......नर नहीं ?
महिला ही केवल जुलम की शिकार है ..पुरुष नहीं .............दामिनी के साथ हुआ अत्याचार जुलम की  पराकाष्ठा है ..तो क्या उसके साथ पुरुष सुरक्षित था ? 

यह जंग केवल नारी के मान ,सम्मान एवं सुरक्षा के नहीं बल्कि समाज के हर जन की सुरक्षा एवं सम्मान की है ....
आओ ! इसे केवल एक सीमा में ना बांधे ........बल्कि समाज में सब को जीने का हक़ दिलाएं ......सब को सम्मान दिलाएं ......दामिनी की  जीवन के लिए जंग को एक जीवन दे . दामिनी को अलविदा मत कहें .........वो तो अब जिन्दा हुयी है हर इंसान में ............लौ जगाएं .......सुरक्षा एवं सम्मान दिलाएं हर एक को ........प्रजातंत्र केवल बोलने का ही हक़ नहीं देता ......सम्मान से जीने का अधिकार भी देता है ..........जड़ से मिटा दो   उनसब को जो इस अधिकार को हम सब से छीन लेने की कोशिश करते हैं .......
मेरा अनुरोध उन सब से भी है जो धन के बदले वोट देते है .....अपना मोल बदल लो .......सम्मान एवं सुरक्षा के बदले वोट दो .....

जागो .....बढ़ो।।।।और करो ....जंग ..जंग और जंग ................दामिनी कौंध चुकी है ....अब बरसने की बारी है।।।।