अकेलापन
अब मुझे
कभी नहीं सताता
कभी नहीं डराता
इक एहसास ऐसा
जिसकी पहचान
अपने से कराता
शायद इक यही है
जो केवल मेरा अपना है
और लिपट कर मेरे साए से
मुझे जीने के राह दिखाता
डर लगता था जो कभी अंधेरो से
उनमे भी आशा का दीप टिमटिमाता