रविवार, 8 जुलाई 2012

अकेलापन
अब मुझे
कभी नहीं सताता
कभी नहीं डराता
इक एहसास ऐसा
जिसकी पहचान
अपने से कराता
शायद इक यही है
जो केवल मेरा अपना है
और लिपट कर मेरे साए से
मुझे जीने के राह दिखाता
डर लगता था जो कभी अंधेरो से
उनमे भी आशा का दीप टिमटिमाता