रविवार, 1 जुलाई 2012

क्या ?

क्या ?
 
गीतों में प्राण नहीं होते हैं
मन के कोरे  भाव है यह
भावो के प्राण नहीं होते हैं
रजनी के श्यामल आँचल में
शबनम के आंसू झरते हैं
दिनकर की रौशन  किरणों से  
संतप्त ताप तम हरते हैं
हरते तम के उन गीतों में
उखड़े श्वास नहीं होते है
हर एक श्वासित गीत में देखो
अमृत्य भाव छुपे होते हैं