बदलाव
तड़प उठा था दिल अचानक
भीगी भीगी रातों में
रोया था कितना चुपके चुपके
भटक कर बीती बातों में
आँख से बहता हर आँसू
बिखर रहा था मोटी बन कर
पिघले नयनो से जब दीपक
चमक उठे ज्योति बन कर
बन नील कंठ पिया मन का विष
ग्रस लिया जीवन का राग दंश
चल पड़ा पिलाने प्रेम पीयूष
दीवानो का कर वृहत वंश
इक सबल सुदृड शिष्टाचारी
था घूम रहा दुष्ककरों में
उन्मुक्त व्योम में फैल गया
बच कर भाग्य के वक्रो से
तड़प उठा था दिल अचानक
भीगी भीगी रातों में
रोया था कितना चुपके चुपके
भटक कर बीती बातों में
आँख से बहता हर आँसू
बिखर रहा था मोटी बन कर
पिघले नयनो से जब दीपक
चमक उठे ज्योति बन कर
बन नील कंठ पिया मन का विष
ग्रस लिया जीवन का राग दंश
चल पड़ा पिलाने प्रेम पीयूष
दीवानो का कर वृहत वंश
इक सबल सुदृड शिष्टाचारी
था घूम रहा दुष्ककरों में
उन्मुक्त व्योम में फैल गया
बच कर भाग्य के वक्रो से