तुम क्या जानो
तुम क्या जानो क्या राज़ छुपा है मेरी इस तन्हाई में
दिल के सारे राज खुलेंगे आखिर इस तन्हाई में
तुम क्या जानो क्यों मचले है दिल बहती इस पुरवाई में
गंध तुम्हारी जब छू जाती बदन मेरा पुरवाई में
दिल में तेरा अक्स दिखेगा जब जब बिजली नभ पर चमके
नम होगा यह शोख बदन जब जब बादल से बूंदे बरसें
तुम क्या जानो क्या राज़ छुपा है पूरब से झरते सोने में
तुम क्या जानो क्या कौन छुपा है अंतर्मन के कोने में
प्रेम शिखा बन तरपू जब निशा उतर आँगन में आये
कोंपल बन कर फूट पडूं जब बगिया मैं मधुकर आये
तुम क्या जानो क्या राज छुपा है तुम को रोज़ बुलाने में
तुम क्या जानो क्या राज छुपा है राज को राज बनाने में
तुम क्या जानो क्या राज़ छुपा है मेरी इस तन्हाई में
दिल के सारे राज खुलेंगे आखिर इस तन्हाई में
तुम क्या जानो क्यों मचले है दिल बहती इस पुरवाई में
गंध तुम्हारी जब छू जाती बदन मेरा पुरवाई में
दिल में तेरा अक्स दिखेगा जब जब बिजली नभ पर चमके
नम होगा यह शोख बदन जब जब बादल से बूंदे बरसें
तुम क्या जानो क्या राज़ छुपा है पूरब से झरते सोने में
तुम क्या जानो क्या कौन छुपा है अंतर्मन के कोने में
प्रेम शिखा बन तरपू जब निशा उतर आँगन में आये
कोंपल बन कर फूट पडूं जब बगिया मैं मधुकर आये
तुम क्या जानो क्या राज छुपा है तुम को रोज़ बुलाने में
तुम क्या जानो क्या राज छुपा है राज को राज बनाने में