रविवार, 22 जनवरी 2012

एक अनुभव

एक अनुभव
एक सफ़र था जिंदगी का ...गाडी स्टेशन पर जैसे सिर्फ मेरा इंतज़ार कर रही थी ......बहुत देर तक स्टेशन पर रुकी .. वह मुझे देखती रही और मैं उसे  ...चलने से पहले उसने मुझे फिर आवाज़ दी ...लकिन मैंने अनदेखा किया .....जब बिलकुल चलने को तैयार हुयी तो मुझे भी यकायक ख्याल आया कि क्यों न इसके साथ चल दूं .....तेज़ कदमो से उसकी रफ़्तार से रफ़्तार मिलाने की कोशिश नाकामयाब रही और सहसा कदम लडखडाए और प्लेटफ़ॉर्म पर ही मुझे जमीन की धूल चाटने के लिए छोड़ कर आगे बढ़ गयी ...........कदम ठिठक गये और फिर कुछ हिसाब   करने लगा कि क्या खोया और क्या पाया .......सच है कितना कठिन है आत्म सात कर पाना कुछ पाने ,   कुछ  खोने  का एहसास ....