रविवार, 20 मई 2012

परिवर्तन

परिवर्तन
 
परिवर्तन जाने   पहचाने
परिवर्तन कुछ  नये पुराने
अंतर्मन को बांधते है
कई सपने जागते हैं
एहसास को पुकारते हैं
अनायास कही चुपके से
शून्य उतर आते है
सहमी सी  मृगनयनी का  
आलिंगन करते हैं  
कुछ गमी का ,कमी का
ध्यान पुनह धरते हैं
खोया सब पाने को
फिर छटपटाते है
लौट आओ पल प्रिय
कह साए से लिपट जाते है
शोक संतप्त वेदना
द्रवित हो बहती है
अज्ञानी हो तीर से
दूर दूर रहती है
परिवर्तन का प्लावन यह
सब तहस नहस कर जाता
सहज गर अपना लें तो
जलनिधि से गिरी आता