बुधवार, 7 मार्च 2012

बंधन यह मेरा और तुम्हारा

बंधन यह मेरा और तुम्हारा

बंधन यह मेरा और तुम्हारा
जैसे क्षितिज का एक किनारा
दूर रहते है तो हर क्षण मिलते
पास आते ही  पग ठिठकते
कुछ झिझकते , कुछ तडपते
खामोशी जब छा जाती है तो
मन ही मन में बाते करते
बंधन यह दिल का कुछ ऐसा
नयनो में बसते आंसू जैसा
रहे बहता हर हर पल जब यह
आहें नम ही करता है
 गर सूख जाए यह जब भी
दिल अन्दर से   रोता है
बंधन यह मेरा और तुम्हारा
आसावरी की  सरगम सा प्यारा
बजता बस यह रात अँधेरे
छुप जाता  यह अरुण  स्वरे
बंधन  यह मेरा और तुम्हारा '
 मुस्काता   मधुबन यह सारा
स्नेहसिक्त कुसुमो से सज्जित
सुरभित आशा ने संचारा
बंधन यह मेरा और तुम्हारा