गुरुवार, 15 मार्च 2012

चुलबुला जीवन

चुलबुला जीवन
फ़क्त एक जीवन
चुलबुला सा  जीवन
बुझने लगा ज्यों
टूटा हो दीपक
चहक गूंजती सी
महक फूलती सी
साँसों की  मौजों  में
भीगा  सा जीवन 
कभी वादियों में
कभी बीहड़ों में
कभी तटनियों में
कभी जोहड़ों में
अपने ही वादों से
जूझता सा जीवन
झोंका पवन सा
मूंदता नयन सा
उठता गगन सा
गिरता अयन सा
अट्टालिकायों में  
अटका सा जीवन
मलिन तेज़ सूरज का  
जलन शीत चंदा का
सूखा यह बादल सा
रूखा यह आँचल सा
सत्वर सी  धरती पर
हुआ मूक बधिर जीवन
फकत एक जीवन
चुलबुल सा जीवन
चुलबुल सा जीवन !!!