मेरा साया
मिलना मेरा मुझे से कुछ ऐसे
जैसे हाशियों पर लिखी इबारते
होती महत्वपूर्ण कभी जो
लेकिन वक्त के साथ साथ
खो देती है अपना अस्तित्व
कनखियों से झांकना मेरा वो ,मुझको
जैसे बुलाता है कोई छिप कर मुझको
दबे पाँव चल कर रुकना अचानक
करता है हैरान मेरा तस्सुवर
अजब शय है यह मेरा भी साया
वक्त के दरिया ने खूब बहाया
जीवन की पुस्तक के पन्ने खुले जो
हर हाशिये पे इबारत सा पाया