क्रांति
थक कर बैठ गयी हर आहट
हुई आहत जब मन की बैन
अविरल अश्रु धार बहे और
व्यथित हुया इस मन का चैन
सूरज उदित हुया था कल भी
और किया था उषा पान
बिन आहट फीका अब सूरज
नही रूचे अब खग वृंद गान
रहने दो अब मत सहलाओ
मत इसको आवाज़ लगाओ
राख हुई अब जो चिंगारी
मत उसमे शोला भड़कायो
होगी हरियाली जब आहट
उठेंगे धीर हो कर अधीर
नस नस में भरेगा उत्साह
जन जन होगा क्रांतिवीर
व्योम दीप की शिखा जला लूँ
छाया घोर कुहास मिटा लूँ
आहत आहट का रीता पन
क्रांति युग का उदय गान है
थक कर बैठ गयी हर आहट
हुई आहत जब मन की बैन
अविरल अश्रु धार बहे और
व्यथित हुया इस मन का चैन
सूरज उदित हुया था कल भी
और किया था उषा पान
बिन आहट फीका अब सूरज
नही रूचे अब खग वृंद गान
रहने दो अब मत सहलाओ
मत इसको आवाज़ लगाओ
राख हुई अब जो चिंगारी
मत उसमे शोला भड़कायो
होगी हरियाली जब आहट
उठेंगे धीर हो कर अधीर
नस नस में भरेगा उत्साह
जन जन होगा क्रांतिवीर
व्योम दीप की शिखा जला लूँ
छाया घोर कुहास मिटा लूँ
आहत आहट का रीता पन
क्रांति युग का उदय गान है