सूनेपन के वेदना
नयन बिछाऊ राह निहारूं
मंज़िल मंज़िल तुझे पूकारूँ
थकित हुया यू विचर अकेला
उत्साहित था कभी अलबेला
मन ना क्षीण,ना क्षीण है काया
दुविधायों ने मॅन भरमाया
असमंजस से हुया अकेला
उत्साहित था कभी अलबेला
अब लौट भी आओ मन के मीत
हुया अधीर अब तेरा धीर
सूनेपन की कठिन वेदना
झेल ना पाएगा यह वीर
नयन बिछाऊ राह निहारूं
मंज़िल मंज़िल तुझे पूकारूँ
थकित हुया यू विचर अकेला
उत्साहित था कभी अलबेला
मन ना क्षीण,ना क्षीण है काया
दुविधायों ने मॅन भरमाया
असमंजस से हुया अकेला
उत्साहित था कभी अलबेला
अब लौट भी आओ मन के मीत
हुया अधीर अब तेरा धीर
सूनेपन की कठिन वेदना
झेल ना पाएगा यह वीर