महज़ ख्याल
मान लिया जिसे दिल ने अपना तड़प कर
वह सताता भी रहे चाहे बन कर सितमगर
पा तन्हा, ख्यालो में बन जाता हकीकत
वे तस्सुवर में रहे या फिर कही बुत बन कर
ख्यालों में उठा करते है चुपचाप समुन्दर
ख्यालों में बना करते है माटी के कुछ घर
ख्यालों को समझ आती है ख्याल की भाषा
ख्यालों से ही जुड़ जाती है इक टूटी से आशा
ख्याल का ख्याल ही दिल को बनाता है
ख्याल का ख्याल ही जज्बात जगाता है
ख्याल महज़ ख्याल ही ना रह जाए 'नीरज '
ख्याल का ख्याल यह एहसास दिलाता है .
अमराई भी हँसे तो बस अपने ख्यालो की
पुरवाई भी बहे तो बस अपने ख्यालो की
चलो ओढ़ ले चादर बस अपने ख्यालों की
जी लें यह बस जिंदगी अपने ख्यालो की