बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

अवसाद



अवसाद

हुया द्रवित दुखित मन
पीड़ा की ज्वाला से
हुए होम सब प्रयत्न
क्षोभ के निवाला से
भीग गया अंतस सागर
फूट पडे अश्रु गागर
बिखर गये शब्द सब
वक़्त की गुबार संग
मौन हुई कविताएँ
मौन अभिव्यंजना
मौन अभिव्यक्तियाँ
मौन आत्म उक्तिया
अवसादों के काले बादल
उमड़ घूमड़ जब आते हैं
उत्साह हीन कर जाते जन को
इक चुप्पी दे जाते हैं
जब चेतन बन कर आता प्राण
मन में देता इक नयी जान
तब मौन का होता भसमसात
उच्चारित हो जाता पुन: राग