गुरुवार, 2 फ़रवरी 2012

एक़ ख्याल

एक़ ख्याल
साए की तरह दिन रात
चलता है मेरे साथ साथ
जागता है तब भी जब
मेरा शयन भी हो जाए
मुस्कुराता है तब भी जब
नयन आँसू कुछ गिरातें
रोता है मेरे साथ जब
लब कभी यूं मुस्कुरातें 
बरबस अपनी पीड़ा छुपातें
कर देता है सारा विश्व छोटा
कुंठा कभी जब मेरा कद घटाती
भर देता है फूल राहों में
असफलता जब काँटे बिछाती
वह इक तरुन्नम सा भर देता
सूने दिल में झंकार
वह इक इबादत सा सुन लेता
दूर से मेरी पुकार
आस  को प्रज्ज्वलित करता
श्वास को व्यवस्थित करता
रास्तों को नापता चल रहा
वो साथ मेरे
एक ख्याल