मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

प्रदूषण

प्रदूषण
देवो की बांकी धरती पर
नरक का कोलाहल है छाया
धरणी के सुंदर आँचल पर
प्रदूषण ने वज्र गिराया
धूसरिस अमवा की डाली
पिक़ का पंचम है बौर्राया
सहमे सहमे किरीट पतंगे
खिलता मधुबन है कुह्म्लाया
घोर कुहास प्रदूषण का यह
छाया इस धरती पर जब जब
विचलित साँसे विचलित जीवन
विचलित मंडल विचलित जन जन
धरती की आँखो के आँसू
मोती बन जब झर झर झरते
तरु पल्लव हर डाली डाली
पीड़ा की ज्वाला में जलते
शिशिर बसंत सर्दी गर्मी सब
इसमे होम हुए जाते हैं
प्रकृति के कोमल हाथो में
मृत्यु दान दिए जाते हैं
मुझे बचा लो ! मुझे बचा लो!
सत्वर धरती करे पुकार
ओ इस जॅग के निर्माताओ
अब तो करो मेरा उद्धार