शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

मूक तपस्वी

मूक तपस्वी

मुहं पर मौन 
मन में त्रिकोण 
सिर झुकाए 
बैठा है आज 
तीसरे कोने पर 
अपलक निहारता 
दोनों कोने 
जिस पर 
बैठे है हम -आप 
और सरकार 
उफ़! दोनों कोने 
कितने कमज़ोर 
बना ना पाए 
ताल मेल 
फ़ैल रहा 
शंका का जाल 
और मूक तपस्वी 
झूल रहा उस त्रिकोण 
के तीजे कोने पर 
दृद संकल्प ले 
कुछ करने को 
मर मिटने को 
ओ जनता अब 
जागो जागो 
अपने फ़र्ज़ -और 
हक़  को पहचानो 
इस मौन को 
आवाज़ बनाओ 
जाह्नवी का 
क़र्ज़ चुकाओ