ठोकर जीवन की
थोड़ी देर और सुस्ताते !!!!!!
चल देते कुछ देर ठहर यूं
फिर उठ कर मंजिल को धाते.
ठोकर खा कर जो गिर जाता
उसके तुम गिरना मत बोलो
उठ कर फिर तब जो चल देता
साहस के तुम उसके तोलो
ठोकर मन में हिम्मत भरती
न सपनो से समझौता करती
दुखों का हर इक सुख में भी
नाप तौल कर भाव है करती