अपनी तलाश में
जितना भी दर्द में डूबोगे
उतना गहराते जाओ गे
जब तोड़ भंवर से निकलो गे
मंजिल खुद ही पा जाओगे
यह सुख दुःख तो परिभाषा है
संग जीवन का कुछ मेल नहीं
पल इक अनमोल खज़ाना है
लौटा पायो! कोई खेल नहीं
तो जियो इसी के साथ जियो
और मरो ! इसी के साथ मरो
हर कोई इस जग में तन्हा है
यह बात अधूरी सी लगे भले
जीवन का सार है यही छुपा
यह बात अपनी ना क्यों लगे हमे
"मैं हूँ" तो मेरा साथ भला
"मैं हूँ "तो सब गम सह चला
"मैं हूँ "तो खुशिया हैं मेरी
"मैं हूँ" तो दुनिया है मेरी
क्यों बाहर भीड़ की दुनिया में
सर्वस्व तलाशा करते है
क्यों ना बन कर खुद अपने के
भीतर महसूसा करते है