मेरी इच्छा
मित्रों ! मेरी अनुजा संजिती(९ वर्षीय) का यह कविता कहने का पहला प्रयास है
अपने मन की बात को उसने किसी कवित का रूप दिया है ...........
मेरी इच्छा
जी चाहता है पंछी बन कर नील गगन में उड़ जाऊं
अपने मन की बात को उसने किसी कवित का रूप दिया है ...........
मेरी इच्छा
जी चाहता है पंछी बन कर नील गगन में उड़ जाऊं
जी चाहता है मीना बन कर पानी में मैं तर जाऊं
जी चाहता है वर्षा रुत में मोर सरीखे पंख फैला कर नाचूं
जी चाहता है बन प्राणी जंगल का स्वछंद विचरता जाऊं
जी चाहता है अब के बरस इन छुटिओं में
ना हो कोई बंधन
हर पर खेलूँ और जियूं एक अनूठा जीवन