शनिवार, 7 मई 2011

wakt ki chot

वक्त की चोट जब लगती है गहरी
दर्द ख़ुशी का बन जाता है प्रहरी
बन जाते हैं अश्क दिल की जुबानी
भीगे हुए नयन कहें  दिल की कहानी
ज्वार उमड़ आता है दिल के समुंदर में
घुटते है  अरमान किसी घायल परिंदे से
क्या बात करे इस दिल की
कब तक  इस बहलायेगा
दिल ही तो है  यह आप ही संभल ही जाएगा
कौन रोक पाया है उफनते दरिया को
यह वक़्त ही तो है गुज़र ही जाए गा ...