गुरुवार, 9 जून 2011

किस से कहे!


किस से कहे!

किस से गिला करे ,किस से करे शिकायत 
अपने ही दिल ने जब, दी है दगा हम को 
किया है खून हमने अपने ही जज़्बात का 
आँख के आंसू, पत्थर लगने लगे हमको 
हम साथ लिए चलते थे यादों के समुंदर को 
अब खुद ही समुंदर निगलने लगे हम को 
अब और ना दो हवा इन शोलो को ए नीरज 
किसी  बर्फ के तोंदे  से पिघलने लगे हम को