रविवार, 26 जून 2011

apni beti se

किंजल  से !!!

देखा मैंने तुम्हे 
एक छोटे बच्चे की तरह किल्कारते 
तितली के पीछे दौड़ते 
रेत पर घरोंदे बनाते 
और फिर उस को तोड़ कर 
उस पर कूदते फांदते

देखा मैंने तुम्हे 
एक बूढी नानी की तरह 
कसीदा कारी  करते
बड़ी बड़ी नसीहतें देते 
चुपचाप एक कोने में बैठ कर
दुनिया के सुख दुःख का
अनुभव करते करते

देखा मैंने तुम्हे 
एक तरुनी की तरह लजाते
दर्पण के समक्ष अपना बिम्ब  निहारते
सकुचाते ,इतराते ,अपने आप को संवारते 
उत्साहित हो हर आहट को पुकारते

हाँ वोह तुम ही हो !
मेरे प्यारे उपवन में 
एक खिलते गुलाब से
वोह तुम ही हो !!