गुरुवार, 2 जून 2011

Jeevan ek maryada


जीवन इक मर्यादा 

जीवन इक मर्यादा है 
गर हो स्वयं से दूर 
तो सब कुछ  आधा है 
रिक्त है , सिक्त है 
हर गम - ख़ुशी में लिप्त है 
होगा गर जीवन सिद्ध 
हर कामना से मुक्त है 
लेकिन यह  इक क़ानून है 
जीवन  इन सब बातों से परे
 बस ! इक जनून है !
 ना धूप है  , ना छाया है 
कोरा प्रतिवाद है 
ना यथार्थ है, ना माया है 
त्रिशंकु बना घूमता है 
अवनि और अम्बर के 
अंतर को चूमता है
इक छिद्र युक्त घट है 
ना भरता है ना टूटता है 
लेता है बलाएँ नित 
मिल कर भी हर घडी 
हाथो से छूटता है