जीवन इक मर्यादा
जीवन इक मर्यादा है
गर हो स्वयं से दूर
तो सब कुछ आधा है
रिक्त है , सिक्त है
हर गम - ख़ुशी में लिप्त है
होगा गर जीवन सिद्ध
हर कामना से मुक्त है
लेकिन यह इक क़ानून है
जीवन इन सब बातों से परे
बस ! इक जनून है !
ना धूप है , ना छाया है
कोरा प्रतिवाद है
ना यथार्थ है, ना माया है
त्रिशंकु बना घूमता है
अवनि और अम्बर के
अंतर को चूमता है
इक छिद्र युक्त घट है
ना भरता है ना टूटता है
लेता है बलाएँ नित
मिल कर भी हर घडी
हाथो से छूटता है