बदलाव जीवन का !!!
कितनी सरलता से कह दिया हम ने हवायों को
भूले से भी न गुजरे कभी अब वह मेरे आँगन से
यूं कर दिया आगाह हमने इन नभ फिजाओं को
न इठलायें कभी अब वह मेरे मन के उपवन में
बदलते मौसमों का स्पर्श जबरन छू ही जाता है
चाहे रहो संभल कर दूर जीवन की बदलन से