शनिवार, 20 नवंबर 2010

badlaav jeevan ka

बदलाव जीवन का !!!

कितनी सरलता से कह दिया हम ने हवायों को
भूले से भी  न गुजरे कभी अब  वह  मेरे आँगन से
यूं कर दिया आगाह हमने  इन नभ फिजाओं को
न इठलायें कभी अब वह मेरे  मन के उपवन में
बदलते मौसमों का स्पर्श जबरन छू ही जाता है
चाहे रहो  संभल कर दूर जीवन की बदलन से