सागर का तट और लहरें
शांत जलधि की चंचल लहरें
तट पर आती बारम्बार
उजड़े रूखे,सूखे तट को
नम कर जाती हैं हर बार
भर लेने को अपने आँचल में
करती हैं प्रयास निरंतर
लेकिन देख तट की तटस्थता
सिमट कर छुप जाती हर बार
निर्विकार तट देख उठे जब
सागर अंतस में भूचाल
नन्ही प्यारी चंचल लहरें
धरें सुनामी रूप विकराल
मर्यादा के तोड़े बंधन
भर ले आगोश में तट विशाल
उच्श्रीन्ख्ल लहरों को जबरन
रोक ना पाए सागर मराल