शनिवार, 20 नवंबर 2010

mujh ko bhool jana

मुझ को भूल जाना

कुछ पाना और फिर कुछ पा कर खो जाना
 न  समझेगा  समझ कर भी यह  दर्द वह दीवाना
कहना मुस्कुरा कर यूं कि 'मुझ को  भूल जाना'
बन जाये न  सबब तन्हाई में मेरा आंसू बहाना
हो ना पायेगा अब मुझसे  इस कदर वह कह्कहाना
हँसना  वह हर बात पर  और  बेवजह ठहाके लगाना
जब कभी भी आयोगे  सामने तुम याद बन कर
उठेगी टीस दिल में ,ढह उठेगा दिल का आशिआना