चलो बने अनजान
रिश्तें बेतकुल्लफ के जिए यूं बहुत देर हम ने
चलो बार फिर से एक हम अनजान हो जाएँ
गुजारें है मधुर वो पल जो साथ साथ हमने
चलो बार फिर से एक वह बस अरमान बन जाएँ
बहा हर आँख से कतरा- ए - शबनम का मेरे ए दोस्त
हम दोनों के एक ख्वाब की पहचान बन जाये
हो जब कभी भी सामना गुजरते यूं दरीचों में
तुम्हारा अक्स मेरे दर्द- ए- जिगर का मेहमान बन जाये