शनिवार, 20 नवंबर 2010

chalo bane anjaan

चलो बने अनजान

रिश्तें बेतकुल्लफ के जिए  यूं बहुत  देर हम ने
चलो बार  फिर से  एक हम  अनजान हो जाएँ
गुजारें है मधुर वो पल जो साथ साथ हमने
चलो बार फिर से  एक वह बस अरमान बन जाएँ
बहा हर  आँख से कतरा- ए - शबनम का मेरे ए दोस्त
हम दोनों के  एक ख्वाब की पहचान बन जाये
हो जब कभी भी सामना गुजरते  यूं दरीचों में
तुम्हारा अक्स मेरे  दर्द- ए- जिगर  का मेहमान बन जाये